सौभाग्य की कहानी" (The Story of Fortune)
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसके पास अपार्थ्य थी, लेकिन उसमें खुद के लिए कोई धन या संपत्ति नहीं थी। वह हमेशा दूसरों की खुशियों को देखकर उदास और निराश रहता था।
एक दिन, उसने एक वृद्ध आदमी को देखा, जो अपनी खुशियों के बारे में बहुत खुश दिखाई देता था। उसने आदमी से पूछा, "आप इतने खुश क्यों हो रहे हैं? आपके पास इतनी संपत्ति तो नहीं है।"
वृद्ध आदमी मुस्काते हुए बोले, "बेटा, संपत्ति और धन खुशी लाने के लिए जरूरी नहीं होते। मेरे पास एक खास सौभाग्य की कहानी है। क्या तुम उसे सुनना चाहोगे?"
लड़का ने उत्सुकता से हाँ कह दी।
वृद्ध आदमी ने कहानी की शुरुआत की, "बहुत समय पहले, मेरे पास भी कुछ नहीं था। मैं गरीबी और आपातकाल के बीच फंसा हुआ था। एक दिन, एक तितली मेरे पास आई और मुझसे बोली, 'मुझे एक आदमी के पास जाना है, ज
िसके पास अपार्थ्य होने के बावजूद वह बहुत खुश रहता है।'"
"मैं उसके साथ चला गया और उस आदमी को देखा, जो एक छोटे से घर में रहता था। वह अपनी परिवार के साथ बहुत खुश दिखाई देता था। मैंने उससे पूछा, 'तुम इतने खुश कैसे हो रहे हो, जब तुम्हारे पास इतनी संपत्ति नहीं है?'"
"वह मुस्काते हुए बोला, 'संपत्ति मेरी खुशियों का मापदंड नहीं है। मेरे पास स्वास्थ्य, प्यार और समृद्धि की अद्भुत खजानी है। मैं धन और संपत्ति को महत्वपूर्ण नहीं मानता, बल्कि मेरे पास अपार्थ्य का आभास है।'"
लड़का सोचने लगा और उसके चेहरे पर चमक आई। वह समझ गया कि खुशी सिर्फ संपत्ति में नहीं होती है, बल्कि स्वास्थ्य, प्यार और संपूर्णता में होती है। वह गरीबी के बावजूद खुश और संतुष्ट हो गया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि संपत्ति खुद एक अद्वितीय खजाना है। हमें खुश और संतुष्ट रहने के लिए संपत्ति के माध्यम से नहीं, बल्क
ि अपने जीवन में स्वास्थ्य, प्यार और अपार्थ्य के मूल्य को समझने की जरूरत होती है।